चंचल भावना

 

💥मेरी भावना 💥

 DATE-17-07-2024

मैं चाहूँगा,

मेरे प्रेम करने से पहले

नदियाँ अनवरत हो जाएँ

और पत्थरों से टकराने का सिलसिला थम जाए। 

 थरों से टकराने का सिलसिला थम जाए।

डूब जाने का डर

नदियाँ अपने साथ बहा ले जाएँ

और उनके प्रवाह में डूबा हुआ मेरा पाँव

यह महसूस करे

कि नदियाँ किसी देवता के सिर से नहीं

बल्कि पृथ्वी की कोख से निकली हैं। 

 मैं चाहूँगा,

गौरैया और पेड़ जब आपस में बातें करें

तो कहें कि वो आँगन जहाँ तुम्हें दाने मिलते हैं

सृष्टि के आदि में मेरी इन्हीं भुजाओं पर बसे थे

आज पृथ्वी से इस पर ईर्ष्या है मेरी। 

 

                                                                                By- Karan Dev 💛

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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